Ye na Puch kya Hussain Hai Lyrics | نہ پوچھیے کہ کیا حسین ہے

October 10, 2024
Ye na Puch kya Hussain Hai Lyrics

The lyrics of “Ye na Puch kya Hussain Hai” reflect deep reverence and devotion towards Imam Hussain (RA). The song portrays Hussain’s (RA) noble character, sacrifices, and his unwavering stand jamia saeedia darul quran for justice. Through its Ye na Puch kya Hussain Hai Lyrics heartfelt verses, it calls on listeners to reflect on his immense contribution to Islam and his role in the battle of Karbala, Ye na Puch kya Hussain Hai Lyrics where he stood against tyranny and oppression.

Imam Hussain’s (RA) legacy has inspired millions over centuries. The song’s lyrics highlight his unparalleled courage and the strength of his faith. By asking listeners not to question who Hussain is but to understand his greatness, it evokes strong emotions and a Ye na Puch kya Hussain Hai Lyrics sense of connection to his sacrifices. These lyrics are not just words; they are a tribute to his life and an invitation to embrace his values.

کیا حسین ہے!
نہ پوچھیے کہ کیا حسین ہے

خدا کے دین کا ناخدا، ہر ابتدا کی ابتدا
کرم کی انتہا حسین ہے
کیا حسین ہے!
نہ پوچھیے کہ کیا حسین ہے

کرے جوئی کوئی ہمسری، کسی کی کیا مجال ہے
جہان میں ہر لحاظ سے، حسین بے مثال ہے
یہ ہو چکا ہے فیصلہ، نہ کوئی دوسرا خدا
نہ کوئی دوسرا حسین ہے
کیا حسین ہے!
نہ پوچھیے کہ کیا حسین ہے

نصیرِ شام پر نگاہ کی تو حُر بنا دیا
جو مر رہے تھے ان کو زندگی کا گُر سکھا دیا
تھی ہر طرف جہاں صدا کھلا یہ راز بھی وہاں
حیات بانٹتا حسین ہے

کرو گے کر مخالفت، غمِ حسین کی یہاں
وہ حشر ہو گا حشر میں کہ الحفیظ و الامان
جہاں بھی چھپنے جاؤ گے، کہیں بھی چھپ نہ پاؤ گے
کہ ہر جگہ میرا حسین ہے
کیا حسین ہے! نہ پوچھیے کہ کیا حسین ہے

ہے جس کی فکر کربلا، حسین وہ دماغ ہے
یہ پنجتن کی انجمن کا پانچواں چراغ ہے
حسن کا پہلا ہمسفر، علی کا دوسرا پسر
امام تیسرا حسین ہے
کیا حسین ہے!
نہ پوچھیے کہ کیا حسین ہے

وہ جس نے باندھ کر ہوا، جلا دیا بجھا دیا
زمین کو جس نے عرش سے بلند مرتبہ دیا
وہ جس نے کائنات کا نظام ہی بدل دیا
ایک ایسا معجزہ حسین ہے
کیا حسین ہے!
نہ پوچھیے کہ کیا حسین ہے

کسی کو حوصلہ دیا، کسی کو بخش دی سحر
دیے کسی کو بال و پر، کسی کو دے دیے پسر
پکاری بندہ پروری، لغت میں اہلِ عشق کی
مدد کا ترجمان حسین ہے
کیا حسین ہے!
نہ پوچھیے کہ کیا حسین ہے

شہیدِ کربلا کا غم جسے بھی ناگوار ہے
وہ بدعمل ہے بدنسب، اسی پہ بےشمار ہے
ارے اے دشمنِ عزا، تو مر ذرا، لحد میں جا
پتا چلے گا کیا حسین ہے
کیا حسین ہے!
نہ پوچھیے کہ کیا حسین ہے

Ye na Puch kya Hussain Hai Lyrics in English

Kya Hussain Hai!
Na poochiye keh kya Hussain hai Khuda ke deen ka nakhuda, Her ibtida ki ibtida
Karam ki intiha Hussain hai
Kya Hussain Hai!
Na poochiye keh kya Hussain hai

Karey joi koi humsari, kisi ki kya majaal hai
Jahan mein her lehaz se, Hussain bey misaal hai
Yeh hochuka hai faisla na koi doosra khuda na koi doosra Hussain hai
Kya Hussain Hai!
Na poochiye keh kya Hussain ha

Naseer e sham per nigah, ki to Hur bana diya
jo mer rahey they un ko zindigi ka gur sikha diya
thi her taraf jahan sada khula yeh raaz bhi wahan
hayat baantta Hussain hai

Kero gey ker mukhalifat, gham e Hussain ki yahan
woh hashr hoga hashr mein, keh Al Hafeez o Al Amaan
Jahan bhi chupney jao gay, Kaheen bhi chup na pao gey,
keh her jagha mera Hussain hai
Kya Hussain Hai! Na poochiye keh kya Hussain hai

Hai jis ki fikr Karbala, Hussain woh doimagh hai
yeh panjetan ki anjuman, ka paanchwan chiraagh hai
Hasan ka pehla humsafar Ali ka doosra pisar
Imam teesra Hussain hai
Kya Hussain Hai!
Na poochiye keh kya Hussain hai

Woh jis ne baandh ker hawa, jala diya bujha diya
zameen ko jis ne arsh se, buland martaba diya
woh jisne kayenaat ka nizaam hi badal diya
ek aisa maojaza Hussain hai
Kya Hussain Hai!
Na poochiye keh kya Hussain hai

Kisi ko hosla diya, kisi ko baaksh di seher
diye kisi ko baal o per, kisi ko de diye piser
pukaari banda perwari, lughat mein ehl e ishq ki,
madad ka tarjumaan Hussain hai
Kya Hussain Hai!
Na poochiye keh kya Hussain hai

Shaheed e karbala ka gham, jisey bhi nagawaar hai
Woh bad-amal hai bad-nasab, usi pe beyshumaar hai
Arey o dushman e aza, tu mer zara, lehed mein ja,
pata chaley ga kya Hussain hai
Kya Hussain Hai!
Na poochiye keh kya Hussain hai

Ye na Puch kya Hussain Hai Lyrics in Hindi

क्या खूबसूरती है!
मत पूछो कि हुसैन अच्छे हैं या नहीं
ईश्वर के धर्म के नेता, सभी शुरुआतों की उत्पत्ति
अनुग्रह का अंत सुन्दर है
क्या खूबसूरती है!
मत पूछो कि हुसैन अच्छे हैं या नहीं

करे जो कोई संसारी, किसी का मजाल क्या है
दुनिया में हर मामले में हुसैन बेमिसाल हैं
यह निर्णय हो चुका है, और कोई ईश्वर नहीं है
और कोई अच्छा नहीं है
क्या खूबसूरती है!
मत पूछो कि हुसैन अच्छे हैं या नहीं

जब उसने नसीर-ए-शाम की तरफ देखा तो आज़ाद हो गया
उन्होंने उन लोगों को जीवन का मार्ग सिखाया जो मर रहे थे
ये रहस्य हर जगह था
हयात बंटता हुसैन हैं

तुम इसका विरोध करोगे, यहीं गम हुसैन का है
वह अल-हाफ़िज़ और अल-अमन का अंत होगा
तुम कहीं भी छिपने जाओगे, कहीं छिप न पाओगे
वो हर जगह मेरा हुसैन है
क्या खूबसूरती है! मत पूछो कि हुसैन अच्छे हैं या नहीं

कर्बला की परवाह किसे है, हुसैन तो मन है
पंजतन की अंजुमन का यह पांचवां चिराग है
हसन का पहला साथी, अली का दूसरा बेटा
इमाम तीसरे हुसैन हैं
क्या खूबसूरती है!
मत पूछो कि हुसैन अच्छे हैं या नहीं

जिसने हवा को बाँधा, जलाया और बुझाया
जिसने धरती को सिंहासन से भी ऊंचा स्थान दिया
जिसने सृष्टि की व्यवस्था बदल दी
ऐसा ही एक चमत्कार है हुसैन
क्या खूबसूरती है!
मत पूछो कि हुसैन अच्छे हैं या नहीं

कुछ को प्रोत्साहित किया, कुछ को आकर्षण दिया
किसी को बाल-केश दो, किसी को पुत्र दो
अहल-ए-इश्क की डिक्शनरी में गुलामी कहते हैं
हुसैन मदद के प्रवक्ता हैं
क्या खूबसूरती है!
मत पूछो कि हुसैन अच्छे हैं या नहीं

कर्बला के शहीद का गम किसी को भी नागवार गुजरता है
वह दुराचारी है, इस कारण वह असंख्य है
अरे इज्जत के दुश्मन, मर जाओ, नरक में जाओ
पता चल जाएगा कि हुसैन हैं या नहीं
क्या खूबसूरती है!
मत पूछो कि हुसैन हुसैन हैं!
मत पूछो कि हुसैन अच्छे हैं या नहीं
ईश्वर के धर्म के नेता, सभी शुरुआतों की उत्पत्ति
अनुग्रह का अंत सुन्दर है
क्या खूबसूरती है!
मत पूछो कि हुसैन अच्छे हैं या नहीं

करे जो कोई संसारी, किसी का मजाल क्या है
दुनिया में हर मामले में हुसैन बेमिसाल हैं
यह निर्णय हो चुका है, और कोई ईश्वर नहीं है
और कोई अच्छा नहीं है
क्या खूबसूरती है!
मत पूछो कि हुसैन अच्छे हैं या नहीं

जब उसने नसीर-ए-शाम की तरफ देखा तो आज़ाद हो गया
उन्होंने उन लोगों को जीवन का मार्ग सिखाया जो मर रहे थे
ये रहस्य हर जगह था
हयात बंटता हुसैन हैं

तुम इसका विरोध करोगे, यहीं गम हुसैन का है
वह अल-हाफ़िज़ और अल-अमन का अंत होगा
तुम कहीं भी छिपने जाओगे, कहीं छिप न पाओगे
वो हर जगह मेरा हुसैन है
क्या खूबसूरती है! मत पूछो कि हुसैन अच्छे हैं या नहीं

कर्बला की परवाह किसे है, हुसैन तो मन है
पंजतन की अंजुमन का यह पांचवां चिराग है
हसन का पहला साथी, अली का दूसरा बेटा
इमाम तीसरे हुसैन हैं
क्या खूबसूरती है!
मत पूछो कि हुसैन अच्छे हैं या नहीं

जिसने हवा को बाँधा, जलाया और बुझाया
जिसने धरती को सिंहासन से भी ऊंचा स्थान दिया
जिसने सृष्टि की व्यवस्था बदल दी
ऐसा ही एक चमत्कार है हुसैन
क्या खूबसूरती है!
मत पूछो कि हुसैन अच्छे हैं या नहीं

कुछ को प्रोत्साहित किया, कुछ को आकर्षण दिया
किसी को बाल-केश दो, किसी को पुत्र दो
अहल-ए-इश्क की डिक्शनरी में गुलामी कहते हैं
हुसैन मदद के प्रवक्ता हैं
क्या खूबसूरती है!
मत पूछो कि हुसैन अच्छे हैं या नहीं

कर्बला के शहीद का गम किसी को भी नागवार गुजरता है
वह दुराचारी है, इस कारण वह असंख्य है
अरे इज्जत के दुश्मन, मर जाओ, नरक में जाओ
पता चल जाएगा कि हुसैन हैं या नहीं
क्या खूबसूरती है!
मत पूछो कि हुसैन अच्छे हैं या नहीं

The lyrics of “Ye na Puch kya Hussain Hai” also convey the profound love that Muslims have for the Prophet Muhammad’s (PBUH) family. Imam Hussain (RA) is seen as a symbol of hope and resistance, and these lyrics emphasize how his legacy Ye na Puch kya Hussain Hai Lyrics continues to influence believers. It encourages Ye na Puch kya Hussain Hai Lyrics followers to appreciate his dedication to preserving the true essence of Islam.

This touching tribute serves as a reminder of the resilience and faith required to uphold Ye na Puch kya Hussain Hai Lyrics righteousness. It is a call to remember Hussain (RA) in daily prayers and to honor his legacy through actions that reflect integrity and faith. The song’s lyrics resonate deeply Ye na Puch kya Hussain Hai Lyrics with those who seek inspiration from Hussain’s (RA) life and his undying devotion to Islam.

Leave a Comment

🌟 جامعہ سعیدیہ دارالقرآن کی مدد کریں! 🌟

آپ کے عطیات سے دینِ اسلام کی خدمت اور تعلیماتِ قرآن کے فروغ میں تعاون کریں۔

📌 :فوری ضرورت

بارش سے متاثرہ دیوار کی مرمت (10 لاکھ روپے)

بوائز کیمپس کی نئی عمارت کی تعمیر (20-30 لاکھ روپے)

آج ہی اپنا حصہ ڈالیں اور ثوابِ  دارین حاصل کریں
📱 جاز کیش: 03017511848
🏦 بینک اکاؤنٹ: 04120981000469015

عطیہ کریں

Learn Quran Online At Jamia Saeedia Darul Quran
×